Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -15-Jun-2022 लगती हो


तुम कोई खूबसूरत ख्वाहिश सी लगती हो
यकीनन मेरे दिल की पुरानी परवरिश लगती हो

मगर पता नहीं क्यूं मुझे हर पल बेहोश सी लगती हो
तूने कुछ बाते अधूरी छोड़ दी यूंही नहीं ख़ामोश लगती हो

और मुझे कमजोर करने की पहली कोशिश सी लगती हो
फिर भी क्यूं तुम इस दिल को इतनी दिलकश लगती हो

कभी कभी तो तुम इन आंखों में तेज़ बारिश सी लगती हो
फिर उस बाढ़ मैं मुझे बहता देख तुम बेहद खुश लगती हो

खुद के लिए ख़ुद से ही करी कोई सिफ़ारिश सी लगती हो
जो अच्छी न निकली मेरे लिए वही आजमाइश लगती हो

तुम हमारे अतीत में दबी हुई कोई ताबिश सी लगती हो 
इस दिल को दोबारा रोशन करनेवाली गुंजाइश लगती हो

बेशक तुम मेरे साथ हुई कोई साजिश सी लगती हो
फिर भी इस कलम की सबसे पसंदीदा पेशकश लगती हो।


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16 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 05:16 PM

बेहतरीन

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Saurabh Patel

17-Jun-2022 05:30 PM

जी शुक्रिया

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Dr. Arpita Agrawal

16-Jun-2022 01:32 PM

बहुत खूब 👌👌

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Saurabh Patel

16-Jun-2022 03:50 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Shrishti pandey

16-Jun-2022 10:26 AM

Very nice

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Saurabh Patel

16-Jun-2022 11:25 AM

Thank you

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